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रविवार, 8 जून 2014

आम और खास की आम बीमारी-सिरदर्द

                                                                                                      अरविन्द दुबे

कभी न कभी हर मानव को अपने चंगुल में लेने वाला ये मनहूस सा नाम अपने आप में कोई बीमारी नहीं है, बल्कि किसी बीमारी का एक लक्षण भर है।

क्यों होता है ये सिर दर्द?

 • आधाशीशी, आधेसिर का दर्द या माइग्रेन सिर की रक्त वाहिकाओं के असमान्य संकुचन व शिथिलन से उत्पन्न होता है। ये सिर के आधे भाग को (दायें या बायें), प्रभावित करता है।
मानसिक तनाव के कारण उत्पन्न सिरदर्द तीव्रता में हल्का और उबाऊ होता है। लगता है कि किसी ने सिर के चारों ओर पट्टी बांध रखी हो।
मासिक आने के पूर्व भी कुछ महिलायें सिर दर्द से प्रभावित होती हैं। ये मासिक होने से पूर्व होने वाले लक्षण व पानी के शरीर में संग्रह के कारण होता है।
अक्सर शराब की कुछ मात्रा पीने से कुछ व्यक्तियों में सिरदर्द हो जाता है। अधिकांशतः ये नीन्द के बीच में प्रारम्भ होता है और इसके कारण नीन्द खूल जाती है।
अधिक काफी पीने से, तेज बुखार में, पहाडों या ऊँचे स्थान पर जाने से या बन्द कमरे में जलती कोयले की अंगीठी रखकर सोने से भी सिरदर्द होता है। ये दर्द मिष्तष्क को मिलने वाली आक्सीजन की कमी से होता है।
मष्तिष्क को रक्त पहुचाने वाली रक्तवाहिकायें कभी कभी रक्त के थक्के (क्लॉट) या बुलबुले (इम्बोलस) के कारण बन्द हो जाती हैं। इससे होने वाला सिरदर्द कभी कभी जानलेवा भी हो सकता है।
इस श्रेणी के सिरदर्द के मुख्य कारण हैं मैनिन्जाइटिस या गर्दन तोड़ बुखार, इन्सेफेलाइटिस, दिमाग की टी0 बी0 और दिमाग की रसौली आदि बीमारियां खतरनाक प्रकार का सिरदर्द पैदा करती हैं। गर्दन अकड़ जाती है साथ में उल्टी, झटके आना या शरीर अकड़ने की तकलीफ भी होती है।
नाक व चेहरे की अन्दर से खोखली हडिडयों के खोखले स्थानों पर चढ़ी झिल्ली में सूजन आने पर भी सिरदर्द की शिकायत होती है। इसे साइनोसाइटिस कहते हैं।
आंखों के कारण होने वाले सिरदर्द के मुख्य कारण होते हैं, नज़र की कमजोरी व भेंगापन। अक्सर ये दर्द सिर में भारीपन की तरह मालूम होता है। आंख के अन्दर एक स्वच्छ पानी जैसा पदार्थ भरा रहता है। कभी-कभी इस पदार्थ के बनने व आंख द्वारा सोखे जाने का सामंजस्य गड़बड़ा जाता है। इसके कारण जो सिरदर्द होता है उसे सबलबाई (ग्लोकोमा) कहते हैं।
 • दांत या मसूड़ों की बीमारियां भी सिरदर्द का कारण बनतीं हैं।
 • घबराहट व डिप्रेशन के रोग भी सिर दर्द की तरह प्रकट होते हैं।
 • इन सबके अतिरिक्त निमोनियां, पोलिओ, मियादी बुखार, मलेरिया, आदि में भी सिरदर्द की परेशानी हो सकती है।
कभी-कभी अधिक काफी पीने से या आइसक्रीम खाने से या चाइनीज खाना खाने से भी सिरदर्द हो सकता है।
शारीरिक सम्बंध के समय भी तीव्र सिर दर्द का वर्णन भी पुस्तको में मिलता है।

 सिरदर्द : उपचार

सिरदर्द के लिये जनसाधारण द्वारा भिन्न भिन्न प्रकार के तेल, कपूर और बाम आदि प्रयोग किये जाते हैं। वैसे इनकी उपयोगिता तो सन्देहास्पद है पर अक्सर कुछ तनाव सम्बन्धित सिर दर्दों में इससे लाभ भी होता है। 
जो औषधियां सिर दर्द के निवारण हेतु प्रयोग की जाती है वे दो प्रकार की होती हैं एक तो वे जिनके प्रयोग से उनकी आदत नहीं पड़ती। इन्हें नान-नारकोटिक एनालजेसिक कहते हैं। जितनी सिरदर्द नाशक दवायें जनसाधारण को सफलता से उपलब्ध है या विज्ञापनबाजी के प्रभाव में प्रयोग की जाती हैं, इसी वर्ग में आती हैं। इन सब दवाओं में एस्पिरिन अकेले या किसी अन्य दवा के साथ संयुक्त रूप में में विद्यमान होती हैं। ये औषधियां अपेक्षाकृत कम हानिकारक होतीं है पर खाली पेट लेने पर कभी कभी पेट में जलन, उल्टी या खून की उल्टी तक हो सकती है। अत: कभी एक बार में दो गोली से अधिक न लें व खाली पेट न ये दवायें न खायें। यदि कभी पेट में जलन, उल्टी या खून की उल्टी  होने लगे तो तुरन्त चिकित्सक से परामर्श लें। यदि पेट में जलन आदि हो तो दवा खाने के आधे घंटे बाद तेजाब नाशक दवा यथा डाइजीन के दो तीन बड़े चम्मच लें।
सिरदर्द की अन्य दवायें यथा पैरासिटामोल, एनालजिन व आइबुप्रोफेन आदि सुरक्षित दवायें है पर ये भी अधिक समय तक (लगातार 7 दिन से अधिक) लेने से गुर्दे व खून की खतरनाक बीमारियां पैदा कर सकतीं हैं। इनका प्रयोग किसी भी हालत में बिना चिकित्सक की राय के नहीं करना चाहिये।
योग साधना व एक्यूपंचर को मानने वाले इन विधि से सब प्रकार के सिर के दर्दों के पूर्ण उपचार का दावा करते हैं। पर वे सिर दर्द जिनका कारण कोई बीमारी हो, उसमें इन विधियों द्वारा उपचार की आशा करनी व्यर्थ है। तनावजन्य सिरदर्द में इसका कुछ महत्व हो सकता है पर यह भी पूर्णतया प्रमाणित नहीं है।
जहां मस्तिष्क में रक्त के बहाव में रूकावट के कारण या मस्तिष्क की रसौली के कारण सिरदर्द हो वहॉ सिरदर्द के लिये शल्य क्रिया की आवश्यकता पड़ जाती है।

खतरनाक सिरदर्द

वे सिरदर्द जो बार बार होते हों, इतने तेज हों कि ऐसा लगे कि सिर फट जायेगा, जिनके साथ उल्टी हो, चक्कर आये, नज़र धुंघली पड़ जाये, गर्दन अकड़ जाये, गर्दन मोड़ने या झुकाने में दर्द हो, जिसके साथ में तेज बुखार हो, शरीर में अकड़न हो, झटके आयें या बेहोशी आ जाये, ऐसे सारे सिर दर्द खतरनाक किस्म के सिरदर्द कहे जाते हैं। इनमें स्वंय कोई दवा न लेकर शीघ्रतशीध्र डाक्टर से सम्पर्क करना चाहिए। 


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