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सोमवार, 9 जून 2014

आपकी त्वचा और उसकी देखभाल

अरविन्द दुबे

            Courtsey-http://www.wikihow.com
शायद मनुष्य ही ऐसा प्राणी है जिसमें इस त्वचा का महत्व जीवित प्राणी में सर्वाधिक है, नहीं तो सारे प्राणियों में त्वचा का महत्व प्राणी की मृत्यु के बाद होता है। त्वचा मात्र का आवरण ही नहीं अपितु एक ढ़ाल भी है, शरीर का अति संवेदनशील एन्टेना भी है। त्वचा का चिकनापन, सौम्यता, मुलायम होना, किसी के व्यक्तित्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि व्यक्तित्व का जो भी भाग दिखाई देता है वह किन्हीं न किन्हीं अर्थों में त्वचा ही है। यह त्वचा ही है जो जवान होती है और बूढ़ी हो जाती है।

आपकी त्वचा
  • त्वचा मुख्यत: दो परतों की बनी होती है, बाहयचर्म या इपीडर्मिस एवं अधोचर्म या डर्मिस। बाहयचर्म कठोर एवं शुष्क होती है जबकि अधोचर्म मुलायम होती है।
  • हथेलियों व तलवों को अगर ध्यान से देखा जाये तो बड़ी व स्पष्ट रेखाओं के अतिरिक्त बहुत महीन-महीन सी रेखायें भी दिखाई पड़ती हैं। वस्तुत: ये रेखायें अधोचर्म में पायी जाने वाली सूक्ष्म रचनओं की क्रमबद्ध पक्तियां हैं। इन सूक्ष्म संरचनाओं में तन्त्रिकाओं के पतले सिरे एवं रक्तवाहिकायें होती हैं। इन रक्तवाहिकाओं में रक्त संचार नन्हीं तन्त्रिका सिरों से नियन्त्रित होता है, इसी कारण तापक्रम के साथ त्वचा का रंग भी बदलता है, जैसे सदिZयों मे उगलियों के सिरे नीले हो जाते हैं व गर्मी की धूप में या आग सेकने पर मुंह व हथेलियां लाल हो जाती है।
  • इन संरचनाओं के अतिरिक्त त्वचा में कई प्रकार की ग्रन्थियॉ पायी जाती हैं जिनसे नाना प्रकार के द्रव निकलते हैं। जननांगों की त्वचा से कुछ विशेष प्रकार के द्रव निकलते हैं जो पसीने के साथ मिलकर एक अलग गंध पैदा करते हैं इन्हें फेरोमोन्स कहते हैं। जानवरों में तो ये नर व मादा को एक दूसरों की ओर आकर्षित करने में सहायक होते हैं।
  • खाल में पायी जाने वाली इन ग्रन्थियॉ मे प्रमुख हैं पसीना एवं तेल उत्पन्न करने वाली ग्रन्थियॉ। पसीना जहां त्वचा के ताप का नियमन करता है तेल वहीं त्वचा को मुलायम एवं चिकना बनाता है और इसे चटखने व फटने से बचाता है।
       courtesy-wikipedia
गुलाबी चेहरा : अच्छे स्वास्थय का प्रतीक

एक मान्यता यह है कि गुलाबी दमकता चेहरा स्वस्थ होने की निशानी है। यदि किसी व्यक्ति के चेहरे अगर लालिमा नहीं है तो इसका ये अर्थ कदापि नहीं है कि वह व्यक्ति स्वस्थ नहीं है। वस्तुत: चेहरे का ये गुलाबीपन त्वचा की ऊपरी पर्तों के पतलेपन पर निर्भर करता है, जिसके नीचे से वाहिकायें चमकती हैं। त्चचा की ये ऊपरी पर्त जितनी पतली होगीए त्वचा उतनी ही गुलाबी दिखेगी।

त्वचा की सफाई

गोरा और काला होना तो कुदरत की देन है, कुछ अर्थों में ये सही भी है पर निरन्तर सफाई रखने की आदत से भी त्वचा की रंगत मे परोक्ष रूप से कुछ फर्क लाया जा सकता है। *
त्वचा की मालिश
मालिश से त्वचा में ताजगी व कोमलता बरक़रार रहती है इसलिये 30 से 35 वर्ष की आयु के बाद मालिश की बहुत उपयोगिता है। चेहरे की मालिश करते समय ध्यान ये रखना चाहिये कि मालिश करते समय उँगलियॉ नीचे से ऊपर की ओर चलायी जायें इससे चेहरे पर पड़ने वाली झुर्रियों से बचा जा सकता है। बांहों व शरीर के अन्य हिस्सों की मालिश से उन स्थानों की त्वचा ढीली होने से बचाई जा सकती है और काफी अर्थों में युवावस्था बनाये रखी जा सकती है।

सौन्दर्य प्रसाधन और आपकी त्वचा
  • जनसामान्य के अनुसार ये सौन्दर्य प्रसाधन खूबसूरती को बनाये रखने या बदसूरती को छिपाने रखने के अचूक नुस्खे हैं।
  • ये सच है कि अगर उच्च कोटि के सौन्दर्य प्रसाधन उपयोग किये जायें तो ये त्वचा पर बहुत बुरा असर नहीं डालते पर त्वचा को ये कोई लाभ भी नहीं पहुँचाते पर ये अच्छे किस्म के सौन्दर्य प्रसाधन इतने मंहगे होते है कि उन्हें खरीद पाना मध्यम आय वर्ग के लिये सम्भव नहीं होता। ये लोग अपनी सुन्दरता बढ़ाने के झूठे मोह में जो सौन्दर्य प्रसाधन खरीद पाते हैं उनमें अधिकांश में मिले अवयव त्वचा पर बहुत बुरा असर डालते हैं और इनके निरन्तर उपयोग से त्वचा की प्राकृतिक सौम्यता जाती रहती है।
  • बहुत सारे सौन्दर्य प्रसाधनों (सन स्क्रीन्स वाले) की विशेषता ये होती है कि वे सूर्य की किरणों को त्वचा तक पहुंचने से रोकते हैं फलत: त्वचा को पोषण व विटामिन नही मिल पाता है और त्वचा खुरदरी हो जाती है।
  • स्वस्थ, लम्बे और चमकदार बालों, मोती से चमकते दांतों, चमकीली आंखों व स्वस्थ प्राकृतिक देहयष्टि का स्थान कोई सौन्दर्य प्रसाधन नही ले सकता है।
धूप और आपकी त्वचा

सूर्य का प्रकाश वैसे तो त्वचा के पोषण के लिये बहुत आवश्यक है पर इससे त्वचा का रंग धीरे धीरे गहराने लगता है।
जो लोग धूप में अधिक काम करते हैं, वे लोग विशेषकर गर्मियों मे सनस्क्रीन वाली क्रीम का उपयोग कर सकते हैं। पर हर मौसम में व उजले रंग की चाह में इन तथा गोरा बनाने वाली क्रीम का अधिक प्रयोग नुकसान पहुचा सकता है क्योंकि ये सनस्क्रीन सूर्य की पराबैगनी किरणों को चेहरे की त्वचा तक नहीं पहुचने देंगे और त्वचा में उपयोगी विटामिन का संश्लेषण नहीं हो पायेगा। आप स्वयं ही फैसला कर लें आप को गोरी त्वचा चाहिये या स्वस्थ त्वचा?

उचित व्यायाम, आहार और विश्राम


त्वचा के सन्दर्भ मे नियमित व्यायाम , पोषक आहार व आवश्यक विश्राम को सौन्दर्य प्रसाधनों की श्रेष्ठता की पराकाष्ठा माना जा सकता है। जल्दी सोने व सबेरे जल्दी जागने की आदत त्वचा का चिकनापन और सौम्यता बनाये रखने में बहुत सहायक होती है। दिन में कम से कम आठ घंटे का विश्राम, आंखों के चारों ओर झाईयां और झुर्रियां नहीं पड़ने देगा। उचित भोजन का अर्थ है प्रोटीन युक्त भोजन यथा दालें, अण्डा या मांस आदि। विटामिन्स, विशेषकर बी कम्पलेक्स समुदाय के विटामिन, जो पत्तेदार सब्जियों दूध ताजे फलों में मिलते है, का नियमित सेवन त्वचा को स्वस्थ रखने के लिये नितान्त आवश्यक है। जहां तक व्यायाम की बात है नियमित पर चाहे थोड़ा सा सही , व्यायाम जरूर करना चाहिये। व्यायाम से त्वचा में रक्त प्रवाह सुचारू रूप से होता रहता है जो त्वचा में ताजगी व चिकनापन बनाये रखता है।
संदर्भ-http://skin-care.health-cares.net/                                                                                   http://www.wikihow.com/Take-Care-of-Your-Skin

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