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मंगलवार, 10 जून 2014

करिये फिक्र अपने बालों की

                                                        अरविन्द दुबे

बालों की सफाई
भारत की अधिकांश महिलाएँ, विशेष कर मध्यमवर्ग की महिलाएँ व ग्रामीण महिलाओं में यह धारणा होती है कि बालों को प्रतिदिन नहीं धोना चाहिए क्योंकि इससे बालों को हानि पहुंचती है, अधिक धोने से बालों का प्राकृतिक तेल धुल जाता है, जिससे उनकी चमक जाती रहती है, उनकी नोकें फट जाती हैं, वे अधिक टूटते हैं और जल्दी ही सफेद हो जाते हैं।
यदि प्रयोग किये जाने वाले साबुन में छार या कास्टिक की मात्रा अधिक है तो ये कुछ हद तक बालों के प्राकृतिक तेल को धो सकते हैं। पर इनका असर कभी भी तेल पैदा करने वाली ग्रंथियों तक नहीं पहुंच पाता है क्योंकि ये खाल में काफी गहराई पर स्थित होतीं हैं, जहां तक साबुन आदि नहीं पहुंच पाते हैं। यदि बालों की ये तेल पैदा करने वाली ग्रंथियां स्वस्थ हैं तो चाहे उन्हें कितना भी धोया जाए उन पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है। हां यदि बाल प्राकृतिक रूप से काफी सूखे हैं तो सस्ते साबुन के प्रयोग से वे अधिक टूट सकते हैं ।
अधिकतर ग्रामीण महिलाएँ बाल धोने के लिए सस्ते, अधिक कास्टिक वाले साबुनों का प्रयोग करती हैं। वस्तुत: इन्ही साबुनों के साबुनों के प्रयोग से ही बाल अपनी स्वाभाविक चमक छोड़कर कर कड़े होने लगते हैं और अपेक्षाकृत अधिक टूटते हैं। नहाने का कोई अच्छा साबुन बाल धोने के लिये भी प्रयोग किया जा सकता है।
कुछ महिलाओं की शिकायत होती है कि नहाने के अच्छे साबुनों का प्रयोग करने से उनके बाल उलझते अधिक हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बालों से साबुन अच्छी तरह निकल नहीं पाता। अत: साबुन लगाने के बाद बालों को कई बार पानी में धोएं। अधिकतर अधिक महीन बालों में ही यह समस्या देखने को मिलती है।
शैम्पू
एक शैम्पू में काम की दो चीजें होती हैं एक डिटरजेंट जो गन्दगी को घोल लेता है व दूसरा सरफेक्टेंट जो डिटरजेंट को सिर के हर छोटे बड़े हिस्से में फैलने मे मदद करता है। इसके अतिरिक्त कुछ विशेष पदार्थ शैम्पू के अन्दर मिलाए जाते हैं यथा- गंधक, सेलीसिलिक एसिड, जीवाणु नाशक पदार्थ, सेलीनियम सल्फाइड, जस्ते के यौगिक व तारकोल से निकाले गये औषधि यौगिक आदि। कभी-कभी निर्माता इसमें कोई ऐसा पदार्थ मिला देते हैं जिसका कि बालों की सफाई व स्वास्थ्य से दूर-दूर तक का भी संबंध नहीं होता है जैसे नीबू, चूना, हल्दी, अंडे, हरे फल, सुगंधियां आदि।
मेरी जानकारी में तो कोई ऐसी विधि नहीं है जिसके द्वारा यह तथाकथित पोषक पदार्थ बालों द्वारा सोखे जा सकें क्योंकि बालों की बाहरी परत का काम ही यह होता है कि बाहरी पदार्थों को अन्दर जाने से रोके। पोषक तत्व सिर्फ बालों की जड़ द्वारा ही गृहण किए जा सकते हैं, जहां तक यह तथाकथित पोषक तत्व पहुंच नहीं सकते। अत: इसके लिए कुछ किया जा सकता हो तो वह पोषक तत्वों के खाने से होगा न कि उनको सिर पर मलकर धो देने से।
इनके स्थान पर घर में बनी सस्ती चीजें प्रयोग की जा सकती हैं, यथा- सिरका, रीठा, शिकाकाई आदि पानी में डालकर प्रयोग किए जा सकते हैं। इनमें कुछ कार्बनिक अम्ल होते हैं। यह अम्ल गन्दगी व छार को घोल लेते हैं और पानी के साथ धुल कर बाहर निकल जाते हैं। बालों में मुल्तानी मिटटी या दही में बेसन घोल कर भी लगाया जा सकता है।
शैम्पू या साबुन बालों से पूरी तरह निकल जाने की पहचान यह है कि पूरी तरह धुले बालों पर अगर हाथ फिराया जाये तो वे चिकने नहीं वरन थोड़े चिपकने से लगते हैं। जब तक ये स्थिति न आ जाये बालों को साफ पानी से धोते रहें। बाल धोने के लिये पहले उन्हें गुनगुने पानी से धोना शुरू करें व अन्तिम धुलाई सामान्य तापक्रम के पानी से करें।
तेल का प्रयोग
बालों के पोषण और वृद्धि के लिए किसी तेल की आवश्यकता नहीं होती, यह निर्विवाद सत्य है। बाहर से लगाया गया तेल बाल में प्रवेश नहीं कर पाता अत: यह बालों के लिए बेकार ही रहता है। जितने तेल की आवश्यकता बालों को होती है उतना तेल उत्पन्न करने की क्षमता बाल से सम्बद्ध तेल ग्रंथियों में होती है। 
कंघी करना
बालों में दिन में कम से कम दो बार कंघी अवश्य करनी चाहिए। इससे बालों में फंसी गंदगी निकल जाती है और तथा कथित डेंड्रफ नहीं होने पाती। बालों में कंघी करने से सिर की खाल में रक्त का प्रवाह बढ़ता है जिससे बाल स्वस्थ रहते हैं।
बालों की छंटाई व उनकी वृद्धि
आम धारणा यह है कि बालों को छांटते रहने से वे तेजी से बढ़ते हैं। पर ऐसा है नहीं, क्योंकि हम काटते तो बाल का निर्जीव भाग हैं और बाल बढ़ता उस भाग से है जो कि खाल के अन्दर दबा रहता है।  लोगों का यह विचार, कि सिर मुण्डाने से घने बाल उगते हैं, भी निराधार है।
बालों की रंगाई
बाल रंगने वाले इन पदार्थो में एनिलीन व कुछ धात्विक रंगों का प्रयोग किया जाता है जो एलर्जी द्वारा सिर की चमड़ी आंखों व चेहरे को नुकसान पहुंचा सकते हैं। ब्लीचिंग के लिये प्रयुक्त प्रसाधनों में हाइड्रोजन परआक्साइड, सोडियम परबोरेट व अमोनिया का प्रयोग किया जाता है जो कि बार-बार प्रयोग करने से बालों को हानि ही पहुंचाते हैं। डाई व ब्लीच दोनों के बार-बार प्रयोग से बाल सूखे हो जाते हैं और ज्यादा टूटते हैं। इसलिए  बाल रंगने के लिए  प्राकृतिक चीजें यथा मेंहदी प्रयोग करें।
रुसी या डेंड्र

सिर की चमड़ी शरीर की अन्य जगह की खाल की तरह हमेशा नीचे से नई कोशिकाएं पैदा करती है। बदले में उसके ऊपर की कोशिकाएं, जो अब तक निर्जीव हो चुकी होती हैं, सतह से अलग हो होकर झड़ती रहती हैं। ये कोशिकाएं छोटे पतले छिलकों के रूप में खाल से अलग होती रहती हैं। कभी-कभी अधिक तेल लगाने से ये छिलके आपस में चिपक जाते हैं, तो बड़े बड़े हो जाते है और नंगी आँखों से दिखाई देने लगते हैं, इसे ही  डेंड्रकहते हैं। ऐसे में बालों को अधिक से अधिक साफ रखने का प्रयास किया जाना चाहि। कोई भी अच्छा शैम्पू प्रयोग किया जा सकता है। डेंड्रके लिये स्पेशल शैम्पू खरीदना मात्र पैसे की बरबादी है 
संदर्भ- wikimedia.org
         -http://www.ehow.com/fashion/hair-care/
        -http://www.beautythroughstrength.com/

2 टिप्‍पणियां:

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